Sach-kah-raha-hu-kavita-hindi-mai.-सच विदेशियों के लिए

Sach-kah-raha-hu-kavita-hindi-mai.-लोग अक्सर विदेशियों की बातों को आदर्श रूप में लेते हैं । उसके कहने का ढंग, मानने का तौर तरीकों को अपनाकर जीने लगते हैं । मानों वो दुनिया के लिए बेहतर उदाहरण है । आंख बंद करके उनका अनुसरण करते हैं । जबकि वहीं हमारे आसपास उससे बेहतर इंसान होते हैं मगर उसका महत्व नहीं देते हैं । प्रस्तुत है इस पर कविता 👇👇

Sach-kah-raha-hu-kavita-hindi-mai. Sach mein 


हमने बहुत देखे हैं

हमने बहुत सुने हैं
कुछ विदेशियों की बातें
जिस पर गर्व हो सकता है हमें
क्योंकि वो दूर है
या फिर वजन देते हैं
उसकी बातों को
जिसे खुद से बड़ा मानते हैं
उसकी बातों को
सच मानते हैं
जबकि अपने आसपास की सच्चाई को
गौण मानते हैं
आदतन उदासीन रवैया अपनाते हैं
जिससे छू नहीं सकते हैं
हमारे हृदय
उसकी बातें को 
हमारे स्थानीय विद्वानों को

जबकि हमने बहुत टटोले हैं
किसी विदेशियों को
समझने के लिए
उनके देश काल में
उपयोग होता होगा लेकिन
हमारे लिए गैर जरूरी
फिर भी...
ताकते हैं

उसके अप्रांसगिक बातों को

जो हमें ज्ञान दे दें
अपने बहुमूल्य विचार के रूप में
किसी गरीब, अनपढ़ की तरह
ग्रहण करते हैं 
जिसे अपनों के बीच
सुनाया जा सकें
क्रांतिकारी विचारधारा के रूप में
और खुद विद्वान बन जाए
जनसाधारण के बीच में
एक बाह्य दुनिया से
निचोड़कर लाए हुए ज्ञान के रूप में
अपनी विद्वत्ता झाड़ने के लिए
विदेशियों की बातें
सुनना जरूरी है
किसी ग्वार की तरह
बिना सोचे समझे
लागू करने को आतुर
तथाकथित कथित
बुद्धिजीवियों द्वारा
क्या सिद्ध करना चाहते हैं  !!!!

उनसे दूर रहिए
जिसके मजाक से
बाकी लोगों को हंसी नहीं आती है
मज़ाक करने वाला
स्वयं हंसता है !!!!

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