Nakaratmak-soch-ka-nukkasan. - कुछ लोग ज्ञान सकारात्मक नहीं होते हैं । नकारात्मकता की भावनाओं का विस्तार करना भी होता है । जिसे वे इतने शातिर ढंग से करते हैं कि जनसामान्य से लेकर बुद्धिमान भी फंस जाते हैं । उसकी कलात्मक प्रस्तुति बुद्धिजीवी सा प्रतीत होता है । जो सोचने के लिए मजबूर करते हैं । पढ़िए इस पर बेहतरीन कविता 👇👇
Nakaratmak-soch-ka-nukkasan-
नकारात्मक लोग
वो फिर आ जाएगा
नकारात्मकता लें के
कुछ अवसर देख के
और बताएगा
नकारात्मक बातें
छोटी कमजोरियों को
बड़ी बनाकर
अवहेलना कर देगी
बड़ी सच्चाई की
इस तरह तर्क देगा
बड़ी सच्चाई हार जाएंगी
उसके तर्क देने के ढंग से
उसने सियासत सीखी है
आलोचना करने की !!!!
नकारात्मक सोच और नुकसान
तर्क कहीं से भी लाया जा सकता है
सवाल कहीं से भी लाया जा सकता है
शर्त है कि हल भी कहीं से लाया जाय !!!
नकारात्मक सोच और उदासीनता
खुल के बोलने से पहले सोचता हूं
तेरे चेहरे पे लिखा क्या है
ताकि मुझे सहूलियत हो बातें करने में
जानकर तेरे दिल का हाल क्या है
बड़े इतराते हैं आजकल के लोग
किसी से मिलने जुलने में क्या है
हक़ के लिए भीड़ इकट्ठा हो जाते हैं 'राज '
फर्ज़ निभाने में क्या है
कुछ पल की बात है मौत
ये पल पल की जिंदगी क्या है
अभी और भी आएंगे लोग याद रखना
ये दौर अभी क्या है !!!
इस काल में
लोग नकारात्मक सोच से जीते हैं
सकारात्मक सोच
सब जान गए हैं
नकारात्मक बातें
उत्साह देता है
सकारात्मक सोच
घिसी-पिटी तरकीबें है
आलोचना करों
चिंतन करो
स्थापित आदर्शों को
तोड़कर
छोड़कर !!
नकारात्मक रचनाएं
प्रस्तुत कर
साहित्यकार
उन महापुरूषों की आड़
लिख रहे हैं
कविताएं
अपने एजेंडे की आड़ में !!!!
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