हर घर तिरंगा- आजादी के ७५वां वर्षगांठ- Har-ghar-tirnga-lekh-hindi
आजादी के ७५वी अमृत महोत्सव के शुभ अवसर पर भारत सरकार ने 'हर घर तिरंगा ' उत्सव मनाने की पहल की है । जिसके अंतर्गत भारत के प्रत्येक नागरिक अपने घरों की छतों पर तिरंगा फहरा सकते हैं ।
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हर घर तिरंगा फहराने का उद्देश्य-
इस पर्व को मनाने के पीछे भारत सरकार का मुख्य उद्देश्य यही है कि सबके दिलों में देश के प्रति भक्ति, गौरव, सम्मान, सेवा, त्याग तथा समर्पण के भाव पैदा करना है । सबको ऐसा अहसास हो कि हम सब एक ही झंड़े के वासी है । जिसके सम्मान की रक्षा किसी भी विकट परिस्थितियों में करनी सबकी जिम्मेदारी है । एक ऐसी भावना पैदा करना जो आपस में सबको जोड़ता हो । क्षेत्रीयता की भावना से उठकर राष्ट्र के प्रति समर्पण और सम्मान की भावना को जागृत करना । जिसका संदेश पूरे विश्व को मिले । यही कि हम सब एक हैं ।
हर घर तिरंगा फहराने में भी आपत्ति है कुछ लोगों को-
आज के समय में जहां लोग हर विषय के उद्देश्य की प्राप्ति में अड़ंगा डालते हैं । वे कई तर्क दे सकते हैं । नकारात्मक पहलुओं का सहारा लेकर उद्देश्य की पूर्ति में बाधा पहुंचाते हैं । सामान्य लोगों के मन में उन बातों को अहसास कराते हैं । जो देशभक्ति से मेल नहीं खाते हैं । जैसा कि इस चित्र में दिखाया गया है -
कविता -कहने के लिए बहुत कुछ जान गए l
इस चित्र का संदेश यही है कि देश में गरीबी बहुत है मगर आप तिरंगा फहराने की बातें करते हैं । जबकि गरीबों के पास मकान ही नहीं है । जो सत्तारूढ़ सरकार पर व्यंग्य है तथा देशभक्ति भावनाओं को दरकिनार करना व देश की गरीबी को उजागर करना है ।
सावधान रहिए देश के गद्दारों से-
जिसे देखकर सामने वाले का विचार देश के प्रति थकावट सा महसूस होगा । ऐसा लगेगा कि सच तो कह रहे हैं । हमारा देश में बहुत गरीबी है । पहले उसे सुधारें । जो कुछ हद तक सही है लेकिन जहां इस चित्र का मिलान कर रहे हैं । वो गलत है । और गरीबी कहां नहीं है ? हर देश में है ।हर काल में है । क्या गरीबी है तो देशभक्ति का प्रदर्शन करना छोड़ दें ! आपको याद है न महाराणा प्रताप । जिसने गरीबी के बाद भी देश भक्ति नहीं छोड़ी । उस महान पुरुष ने पहले देश रखा, न कि गरीबी ।
जब भी कोई गरीबी के बारे में सोचने लगे तो चित्र बनाने वाले अपना एजेंडा साधने में सफल हो जाते हैं , समझो । उसने देशभक्ति के जगह देश का नकारात्मक छवि स्थापित करने में सफल हो गया है । जो यह नहीं चाहते हैं कि देश का सम्मान बढ़े । हीनता और आत्मग्लानि के भाव पैदा करना ही जिसका उद्देश्य है । ऐसे लोगों के बारे में सोचना मतलब देश को शर्मशार करना है । सावधान रहिए । सचेत रहिए । देश के गद्दारों से । जो तुम्हें बहलाते हैं । एक नकारात्मक विचार पैदा करते हैं । जो देश और स्वयं के लिए घातक है ।
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-राजकपूर राजपूत
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