मन का विचार/कविता Thought of peace of mind peom

 बेचैन मन में शांति नहीं और अशांत मन अवसादों से घिर जाता है ।Thought of peace of mind peom- लेकिन अशांत मन कल्पना करता है कि बाहर शांति है । ऐसा इसलिए क्योंकि उसके भीतर शांति नहीं है । बेचैन मन अपनी व्याकुलता को महसूस करते हैं । जिसे  अपने सिवा बाहर महसूस करता है ।  

Thought of peace of mind peom.

विचारों का आना जाना मन में


 जब मैं परेशान हो जाता हूं

खुद से
उलझा रहता हूं
खुद के भीतर
तब दुनिया मुझे 
बहुत खुबसूरत लगती है
उसके पास जिंदगी लगती है
जिसकी मुझे प्यास लगती है
सिवाय मेरे
मैं सबसे बेकार लगता हूं
जब मैं उदास रहता हूं
दुनिया में निश्चितता दिखाई देती है
जिसे मैं छूता हूं
सुकून के अहसास हर जगह है
ऐसा लगता है
सिवाय मेरे
अंतर्द्वंद्व में ठहरा रहता हूं
खुद के भीतर
मिलता नहीं सुकून 
जबकि बाहरी दुनिया में
दिखता है 
सुकून !!!!

Thought of peace of mind peom 

बैचैन मन
सिर्फ तुम्हारी तलाश करता है
जब तक न मिल जाओ
सोचता रहता है
बेचैन होकर
इसलिए तुम रहो पास
जब तक
मेरी प्यास
न मिट जाए !!! 

तर्क ये नहीं है
कि तुम अपने विभत्स विचारों को छुपा कर
किसी की आलोचना करों
ऐसा करके तुम
खुद को दुनिया के
सबसे पाखंडी आदमी सिद्ध करते हो  !!!!

जैसे-जैसे
विचार में गहराई आती है
लोगों और अपनी बुराई दिखाई देती है
सम्हल जाना
सावधान रहना
शामिल होना उचित नहीं है
तुम्हारे अकेले होना उचित है !!!!


Thought-of-peace-of-mind-peom.


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