Akelapan -में घिरे हुए लोग - कविता

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अकेलापन नहीं है -

 अकेलापन ये नहीं है कि

तुम अपनी चाहत की सोच में डूबों
पाने या खोने के उलझन में झूलों
हताश , निराश जीवन में रहो
एक चिंतन चले निरंतर थकाते हुए
नस - नस दुखाते हुए
जिससे बाहर निकलना
मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है
जिसे तुम समेटे हो
अपने भीतर
गहराई में
जरूरी समझकर 
एक दुनिया बनाकर
भीड़ की

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 अकेलापन 
जबकि अकेलापन वो है 
जो आपको अवसर देता है
इस भीड़ से निकलकर
सोचने के लिए
चाहत की दुनिया से उस पार
अपने सीने के दर्द के उस पार
जहां कोई सुहाता नहीं
इस दुनिया में
अकेला सा लगता है
जहां हम तटस्थ होकर सोचते हैं
निरंतर
दुनिया का मतलब, 
कारण,, प्रकृति 
बिना शामिल हुए 
जहां रसास्वादन किए बिना
स्राव होता है
स्वयं के भीतर 
मस्ती !!!!
अकेलेपन से घिरे हुए लोग
जब दर्द महसूस करते हैं
भीड़ को देखते हैं
शामिल होने में असफल
भीड़ द्वारा स्वीकार्य नहीं किया गया
लोग हैं
जो अकेलेपन का मज़ा से
परिचित नहीं हैं 
मजबूरी है उनकी
जो तड़पते हैं
भीड़ में शामिल होने के लिए !!!!

अकेलापन
सुकून की तलाश के लिए
बेहतर अवसर है
जो भीड़ छोड़ चुके हैं
खुद से बातें करते हुए
खुद को समझा लेते हैं
अकेलेपन का फायदा !!!!

मैंने तो हंसना सीखा था
अपने अकेलेपन से
मेरे फैसले में भीड़ नहीं थी
जब चाहूं जैसा सोचूं
जैसा करूं
मेरा जीवन निश्चित था
खुद के लिए
बेहतर अहसास !!!

-राजकपूर राजपूत 
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