कवि ढूंढ लेता है
poet-life-in-poetry-literature-life
कवि ढूंढ लेता है
किसी वस्तु का सौंदर्य
उसके भीतरी कक्ष के भाव
जिसमें प्राण बसते हैं
जो उसके आनंद का कारण बनते हैं
कवि ढूंढ लेता है
अंतर्मन की ध्वनि
व्योम और अवनि
जहां जीवन बसता है
फूल हंसता है
कवि ढूंढ लेता है
सुनापन की बातें
उसकी आहटें
और इसी नीरसता से
जीने की राहें
कवि ढूंढ लेता है
अपनी कल्पनाओं से
जीवन का सार
अपना प्यार और संसार !!!!!
poet-life-in-poetry-literature-life
भले ही कविता लिखी जाती है
अच्छी बातों के लिए
और पढ़ी जाती है
वाह-वाह करने के लिए
कुछ मनोरंजन के लिए
माइंड सेट करके
बैठ जाते हैं
पसंद आए या ना आए
लेकिन वाह-वाह कर देंगे
ताकि मान रखा जाय
किसी कवि का सम्मान रखा जाय !!!
कहीं और दिल्लगी हो
लेकिन कहीं और उपस्थिति ज़रुरी हो
मन रखा जाता है
ताकि ठेस न पहुंचे
सामने वाले का !!!
चालाकियों से भरा दिल
वक्त आने पर
अपने इरादे स्पष्ट करेंगे
तब तक
मतलब से बातें करेंगे !!!
आजकल कवि ढूंढ लेता है
अपनी प्रसिद्धि
किसके बारे में
लिखना है
किसके बारे में नहीं
सियासत अच्छी तरह से
समझते हैं
कवि आजकल ऐसे हैं !!!!
इन्हें भी पढ़ें 👉 अहंकार का स्वरूप
2 टिप्पणियाँ
वाह वाह अति सुन्दर रचना सर जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका 🙏
हटाएं