बारिश की बूंदें rain-drops-poetry-hindi-literature-life.

बारिश की बूंदें 
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जब सूखी जमीन पर

बारिश होती है

बीज अंकुरित हो जाती है

धरती हरियाली से

सज जाती है

मगर बारिश की बूंदें

जब छानी में पड़ती तो

गरीब के चेहरे पे

शिकन उभर आती है

उसके मकान के कमरों की मिट्टी

गीली हो जाती है

जो हरियाली नहीं

दर्द देती है

उफ़ ये बारिश की बूंदें

अपने साथ दुःख भी लाता है

फिर भी गरीब को

हरियाली भाता है

जिससे जिन्दगी चलती है !!!!

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जब भी बारिश होगी

तुम याद आओगे

बारिश की बूंदों से

बचने के लिए

जब मैं छूपने की कोशिश करूंगा

किसी पेड़ के नीचे

दीवार के पीछे

अकेला रह जाऊंगा !!!!


दो चार बूंदें बारिश की

जब भी पड़ती है

जमीं पर

फोड़े पड़ जाते हैं

छाती पर

इसलिए बरसों घनघोर

मुझे तर-बतर करने तक !!!!


गिरो - बरसों

गीली होने तक

बहा ले जाओ साथ

सागर तक

मैं साथ जाऊंगा

बहते

अंतिम सांस तक !!!!

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-राजकपूर राजपूत

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