जब कभी भी सुनोगे my heart speak poetry.

जब तुम सुनोगे 

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 जब तुम सुनोगे

मेरे दिल की बात
बड़ी तन्मयता से
तब तुम देखना
मेरी कशक
मेरी पीड़ा 
हल्की हो जाएगी
धीरे - धीरे
मेरी सारी कशक, पीड़ा
तुम्हारे सुनने से
बिखर जाएगी
यही कहीं
मुझसे दूर
बहुत दूर
जिसे कोई सुना नहीं है
आज तक
इसलिए तुम
ठहरों पास
मेरी पीर के
बिखर जाने तक !!!!

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साँसों के आने जाने में 
जीवन और मृत्यु है 
तुम बसें रहना मेरी आखरी साँसों तक
तुम हो तो जीवन है 
तुम नहीं तो मृत्यु  !!!

मैं उन चालाकियों पर लिखता हूं
जिसने नैतिक मूल्यों को धराशाई किया है
उन लोगों पर जो इतराते हैं
अपनी चालाकियों पर
मैं लिखता हूं
कविता उन्हीं पर !!!

जब कभी सुनोगे
मेरे भीतर
हृदय का कंपन
तुम्हें लगेगा
मैं जीवित हूं
यह जानकर
तुम बताओगे
सबको
सांसें अटकी है
टकटकी
आंखों में
छाई है
मृत्यु के करीब
मनुष्य 
कोई एक तंत्र है
जो
बांध रखा है
अंतिम सांस को
जिसके जाने के बाद
बाहरी दुनिया का
रोना शुरू होगी
मृत्यु शैय्या में
पड़ा आदमी
इन्हीं योजना को नहीं जानता है
वर्ना पहले मर जाता
और चलें जाते
अपने लोक !!!!

-राजकपूर राजपूत
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