आधुनिकता और अहसास - विचार Modernity-and-feel-thought

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(एक)

न्याय मनमाफिक हो तो

वो न्याय,  न्याय नहीं है
विचारों को थोपना है !!!

(दो)

जब कोई तुम्हारी कोई बात
सुनी नहीं जाती है
और यदि सुन भी लिया जाता है तो
कोई बहाना करता है
समझो वो आदमी
तुमसे नफ़रत करता है !!!

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(तीन)

तुलनात्मक तर्क करना
किसी के विचारों से असहमति है
भले ही कोई सच हो
अपने बचाव में किया गया
बेहतर हथियार है
जो खुला समर्थन है
अपनी गलतियों का !!!

(चार)

तर्क देने वाले लोग 
खुद को वैज्ञानिक दृष्टिकोण के मानते हैं ।
जबकि इसके जीवन में
प्रेम का अभाव होता है !!!

(पांच)

आलोचना खिल्ली उड़ाते हुए हो
हृदय दुखाते हुए हो
समझो वो आदमी नफरती है
बेहद !!!

(छ:)

धर्म में दर्शन न हो

शास्त्रार्थ न हो
बंद धर्म का समर्थन हो
किसी निश्चित विचार में बंद हो
जिसमें उदारता न हो
वह धर्म न होकर
राजनीति संगठन है !!!

आधुनिकता
बेहतर है
बाहरी आवरण
सजा हो
अपने हितों को साध कर
किसी को ठगा हो !!!


प्रासंगिकता
उस काल के हिसाब से ठीक रहा होगा
कुछ लोग आज भी जीवित रखें हैं
रखना चाहते हैं
शोषण करने या फिर हित साधने
शिक्षित होने का यह स्वरूप
आजकल की दृष्टिकोण से ग़लत है
शिक्षित लोगों को
पता होना चाहिए !!!!
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