तुम क्या जानो -कविता

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 तुम क्या जानो

प्यार क्या होता है

इस दर्द में

शुकून क्या होता है

तुमने सहुलियत देखी है

जीने की

इसलिए छोड़ी है

प्यार की राह

तुमने देखी होगी

प्यार की आह

जिससे डर कर

प्यार करना छोड़ दिए !!

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मैंने उन लोगों को भी देखा है
जो जिम्मेदारी लेते हैं
सियानी बातों का
दो व्यक्तियों के झगडे में
समझाकर चला जाता है
सीधे-सादे लोगों को
तुम ही समझों
वो तो गवार है
और मानते हुए भी देखा है 
मनाते हुए भी
सीधे-सादे को 
इस तरह लोगों ने देखा है
झगड़े को शांत होते हुए
इस तरह सियान बनते हुए
जबकि सच्ची सियानी यहीं है
मुर्खों को समझा लेना
सीधे-सादे लोगों को नुक्सान न पहुंचाना
उसमें क्या रक्खा है
समझदार को समझाने में
बेवकूफों से डर जाने में !!!!
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