कितना अच्छा होता -कविता

how-good-would-be-poetry-hindi- कुछ लोग ऐसे भी हैं आजकल जो अपने स्वार्थ के लिए या फिर यूं कहिए कि बेवजह लोगों द्वारा स्थापित जीवन शैली को मजाक मज़ाक में तोड़ने की कोशिश कि जाती है । नहीं उसे कोई बेहतर राह बनानी है । नहीं उसे उस राह पर चलना है । फिर भी उंगली ऐसे करते हैं । जैसे खुद कोई विद्वान हो । ऐसे लोगों ने समाज को तोड़कर रख दिया है । 

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कितना अच्छा होता 

जो सीख मुझे दिए हो

मैं पुछता हुं
कभी तुम भी कुछ लिए हो
कितना अच्छा होता
जो इंसानियत की बातें हैं
यहां कहने को बस आते हैं
कभी सबमें आजमाते हो
अपनों की बुराई भूल गए
दूसरों की रोज़ ले आते हो
कहां से ले आए ये चालाकियां
रोज नई- नई ले आते हो
में पुछता हुं !!!

कविता कुछ तुम्हें नहीं आता 

कुछ और तुम्हें नहीं आता है
स्थापित आदर्शों को छेड़ने में
तुम्हें बहुत मज़ा आता है
न कभी साबित किए
न कभी चरित्र में उतारें
जो जीते हैं उसे तोड़ जाते हो
बनते रिश्ते छोड़ जाते हो
अब तक पता न चला
क्या तुम्हें आता है
इसके सिवा
कुछ और तुम्हें आता है !!!

कितना अच्छा होता

जितना सच्चा होता
जो दूसरों को कह पाते
खुद आजमा लेते 
कोई बोधिसत्व कोई वैज्ञानिकता का चोला ओढ़ें
ढोंग न होता
कितना अच्छा होता !!!

जिसे ज्ञान समझ बैठे हैं
आलोचनात्मक निंदक है
जो नफ़रत से
कहीं गई है
और हम आत्मसात करने बैठे हैं !!!

कितना अच्छा होता
ये जो शहरों में
बम ब्लास्ट होते हैं
कुछ कारण भी होते हैं
पता लगा पाते 
कोई बुद्धिजीवी 
कोई वैज्ञानिक
क्यों फटते हैं बम
और क्यों मर जाते हैं
 मासुम हम !!!!
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