लेखक भी नफरती होते हैं ।Nafarti-lekhan-kahani-hindi-meregeet-sahitya-jivan
मैंने कभी सोचा नहीं था । उच्च बुद्धिजीवी वर्ग होने के बावजूद दोहरे मापदंड अपनाते हैं ।
उसका दावा था कि वह सच लिखता है । जो देखता है - समाज में । वहीं लिखता है । वह हिन्दू धर्म की बुराइयों को उजागर करता था । अपने लेखन में । जिसके कारण लोग उसे विद्वान मानने लगे थे। उसकी बातों को सुनने लगे थे। जो बताते थे,, वहीं तक सोच - विचार कर पाते थे । अधिकांश लोगों द्वारा उसके विचार पे कभी संदेह नहीं हुआ ।
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क्योंकि उन्हें फुर्सत नहीं थी । उस लेखक की बुराई के बारे में जानने समझने की । उसके एकतरफा विचार घातक था । समाज के लिए ।
लेकिन मुझे आश्चर्य होता था । ऐसे लोग कैसे विद्वान हो सकते हैं !! जो केवल बुराई ही बताएं ।
आखिर एक दिन मुझसे रहा नहीं गया । मैंने उससे पूछ ही लिया - " तुम्हें केवल हिन्दूओं की बुराई ही नज़र क्यों आते हैं । किसी अन्य लोगों और समुदाय में तुम्हें दिखाई नहीं देते हैं ! ""
" मैं अपना जानता हूं,, दूसरों का नहीं । मैं सुधार करना चाहता हूं"! तथाकथित विद्वान ने कहा ।
"ठीक है,, लेकिन तुम्हारी आलोचना में मुझे थकावट महसूस होता है । केवल कमजोर नस को पकड़ते हो । कभी तारीफ नहीं करते हो । क्या बुराई ही बुराई है । कही तुम्हारे हृदय में कोई खोट तो नहीं । ""
मेरी बातों को सुनकर वे थोड़ा झुझला गए । मुझसे खिन्न होते हुए बोले -
" तुम लोगों की सोच छोटी है । "
तुम्हारी कितनी बड़ी है । बहुत ही सरल मार्ग चुने हो । सफल लेखक बनने के लिए । जो सहते हैं । उसे ही कहते हो । बहुत अच्छा । "
कुछ देर मुझे देखता रहा । लेकिन कहा कुछ नहीं । जिसे मैं समझ गया । वे मुझे मुर्ख समझ के नेगलेक्ट कर रहा था । और मैं उसे । जाने कैसे लेखक बन जाते हैं । नफरती लोग !!!
नफ़रत वाला लेखक
वहीं है
जो अपने विरोधियों में
बुराई ढूंढ लेते हैं
लेकिन सच्चाई नजरअंदाज कर देते हैं
ऐसा करके
खुद को बड़ा साबित कर लेते हैं !!!
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प्रोत्साहन मिलेगा
गाली नहीं
हिन्दुओं के विरुद्ध लिखने से
वो दलित है
आरक्षण ले लिया
संविधान से
पढ़ाई-लिखाई की इस तरह
वैज्ञानिक बन गए
लेकिन
सभ्यता नहीं आई !!!!
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