जीवन का लक्ष्य - लेख goal of life-literature-life-article

 हर इंसान एक है- goal of life-literature-life-article.

हर इंसान एक है ।शरीर के भीतर ऊर्जा एक है । जिसके होने से ही संचालित है । क्रियात्मक रूप में । उसके निकलते ही ,,महत्वहीन है । सारी दुनिया के लिए और सारी दुनिया उसके लिए । प्रत्येक व्यक्ति । रंग, रूप, विचार, शारीरिक संरचना और अहसास, अनुभूति में भिन्नता है ।मगर इसी भिन्नता के बावजूद हम सब एक हैं । इसलिए केवल हम व्यक्तिगत अनुभूति को सर्व समाज में थोपने का काम नहीं कर सकते हैं ।  

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लोग अक्सर भूल कर जाते हैं कि उसके द्वारा आंकलित सच ही श्रेष्ठ है । बाकी सब झूठ । इसी वजह से दूसरे व्यक्ति से मनभेद हो जाता है । उसकी इसी भिन्नता से उसके भीतर मूर्खता आ जाती है । जिसे स्वीकार नहीं करते हैं । उदारता और विनम्रता की जगह कठोरता स्थान ले लेते हैं । बहस और चर्चा में जिसे देखा जा सकता है । कितना घृणा, कितनी नफ़रत है । 

ऐसे में सबके विचारों में सत्यता ढूंढना मुर्खता है-

ऐसे में सबके विचारों में सत्यता ढूँढना मूर्खता है । क्योंकि कोई अपने एजेंडे के तहत काम कर रहे हैं । कोई अपने आप को साबित करने में । सोशल मीडिया में परोस दिया जाता है । कुछ भी विचार । जिसे स्वीकार करते हैं वहीं लोग जो उसी विचारधारा के होंगे । जो अपने विचारधारा से निकलना नहीं चाहते हैं और छोटी- छोटी टोलियों का निर्माण करते हैं । 

बेहतर होगा यदि जीवन में-  

जबकि बेहतर होगा यदि हम खुद के भीतर उस सत्य को ढूंढें तो इसलिए अपनी अनुभूति को उस सत्य के करीब रखना जीवन का सार है । जिससे दुनिया आश्चर्य न लगे । अपनी अनुभूति को उतार चढ़ाव से परे खुद में स्थिर रखना । बेहतर जीवन सार है । 

ध्यान रहे जो खुद को सबसे श्रेष्ठ मानते हैं, वही इस संसार के सबसे बड़ा मूर्ख है और जो जिसमें जितनी उदारता और विनम्रता है वहीं सबसे श्रेष्ठ है । इस दुनिया में । 

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