इगो सिस्टम से इस तरह -गजल egosystem-from-this-way-ghazal-hindi-literature-life

egosystem-from-this-way-ghazal-hindi-literature-life बिल्कुल सही है कि कुछ लोग सिस्टम को इस तरह से काबू में रखते हैं कि उनका कहा झूठ भी सच साबित होते हैं । इसके लिए वे, तथाकथित बुद्धिजीवी, संस्थान, पत्रिका, समाचार, फि़ल्मी दुनिया, आदि संस्थान जैसे आजकल सियासी पंथ द्वारा अधिकृत कर लिया है । कुछ लोग तो ये भी कहते हैं कि सरकार किसी की भी हो । सिस्टम हमारा है । ऐसे लोग देश के प्रति नकारात्मक प्रभाव डालते रहते हैं । नकारात्मक लोगों को आसानी से पहचान सकते हैं ।

इगो सिस्टम से इस तरह से संचालित है आदमी 

खुद के भीतर खुद को समेटता हुआ आदमी
बातें वे सबसे करेंगे व्यवहार में हंस कर मगर
बात उसपे आ गई तो रिश्ता तोड़ता हुआ आदमी
जाना सा हुआ या माना सा हुआ मगर उदासीन हुआ 

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परवाह नहीं किसी की अहम में मरा हुआ आदमी
वो डरता नहीं किसी से मगर ध्यान रहे कब तक
जहां स्वार्थ आए तो चरणों पे गिरता हुआ आदमी
अच्छी बातों का रट्टा मार हैं  मगर अपनाते नहीं
विद्वत्ता भरें लहजे से फारवर्ड करता हुआ आदमी
उसकी मुर्खतापूर्ण बातों की कोई सीमा नहीं है
अपने अहम से सबको टटोलता हुआ आदमी
उसके दावों का पोल आखिर खुल ही गया है
कभी डरता है कभी डराता हुआ आदमी
सियासत के विचारो में इस तरह डुबे हैं सभी
झूठ को सच साबित कर जीता हुआ आदमी
इसी उम्मीद में जीते हैं राज कभी माहौल बदलेंगे
उस मुर्ख को भी अब हराता हुआ आदमी  !!!!

बंद विचार
खिड़कियों से ताक सकता है
लेकिन
दरवाजा खोलकर
खुले आसमान में नहीं आ सकता है
क्योंकि वो जानता है
वो जी रहा है
बेहतर है
इसलिए घमंड से
अपनाएं हैं
अपना जीवन दर्शन !!!!

जब मैं खुद को और दूसरों को पहचान पाता हूं । ऐसी समझ आने पर खुद को सुरक्षित महसूस करता हूं ।

किसी का नजरिया कब चोट या प्यार में बदलेगा की समझ आने के बाद किसी से व्यवहार निभाने में सरलता होती है ।

खुद को जानने से लक्ष्य से भटकाव नहीं आता है । चाहें कोई भी परिस्थिति आ जाएं । 

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