बुद्धिजीवी वर्ग - लेख intelligentsia-class-article-mergeet-literary-life

 स्थापित बुद्धि- 

यदि स्थापित है आपकी बुद्धि । intelligentsia-class-article-mergeet-literary-life उन्हीं मापदंडों में जिससे वर्तमान बेहतर होने की उम्मीद है । जीते हैं, उन्हीं तौर तरीकों से जो वर्तमान में चलन पे है । जिसे सफल लोग अपनाएं हुए हैं । समाज जिसे मान्यता देती हैं ।  ऐसे में आप वर्तमान के लिए स्मार्ट है । सब लोग बेहतर या अच्छा मानेंगे ।  आपकी बुद्धि प्रचलित गुणों को स्वीकृति देगी तथा अन्य गुणों को अपनाने से हिचकेंगे । उसके प्रति उदासीन रवैया अपनाएंगे । जिसे स्वीकार करना मनाही होगी । आपके भीतर बैठे व्यक्ति के द्वारा । 

हर युग हर समय में-

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जैसा कि हर युग,  हर समय के वर्तमान में हुआ है । उस काल द्वारा स्थापित नैतिकता सबको मान्य होते हैं । जिसकी प्राप्ति से सफल या बेहतर इंसान कहलाए जाते हैं ।  जिसे पाने का प्रयास सब करते हैं । 
जैसा कि पुराने समय में ज्यादातर लोग सच बोलते थे । सच सुनते थे । झूठ अस्वीकार्य था । पूरा समाज इस पर चलने के लिए प्रेरित करते थे । आदर उन्हीं लोगों का होता था । जो सच को अपनाएं हुए थे । वचन का पक्का ।‌‌    बातों से सच्चा । जिसके लिए प्राण भी त्याग देते थे । कष्ट सहने से नहीं हिचकते थे । ये उस काल का अहंकार नहीं था । स्वाभिमान था । जिससे व्यक्ति पहचान पाते थे । जो ऐसा नहीं करते थे , राक्षस की श्रेणी में गिने जाते थे । उसकी आलोचना होती थी । 
लेकिन आधुनिक वर्तमान की मांग कुछ और है । ऊपर वर्णित बातों का कोई औचित्य नहीं है । हां ये अलग बात है कि चर्चा इन्हीं सत्य की होती है । मगर ठहरते नहीं है । फारवर्ड कर देते हैं । अपना ज्ञान जिसे कहीं से मिला होता है । दूसरों को । सोशल मीडिया के माध्यम से या अन्य माध्यम से । जो कि सभ्य या शिक्षित होने का प्रमाण है । इस बात को स्वयं प्रमाणित करते हैं कि वह काफी समझदार है । जो उसके भीतर अहम की पुष्टि करता है । उसके ज्ञानी सा व्यवहार करना , दिखाता है कि वह भी बहुत कुछ जानता है । मगर इन्हीं अच्छी बातों के आड़ में उपयोग करते हैं । उसकी स्थापित बुद्धि अपने भीतर कई राज समेटे हुए है । जिसे दिखाते नहीं । सफल होने का मतलब धन दौलत आदि से श्रेष्ठ होना है । आदमियों में श्रेष्ठ होने से नहीं है । भौतिकतावादी लोग जहां पैसा और सम्मान मिलते हैं । वहां गिर जाते हैं । व्यक्ति स्वयं के प्रति जिम्मेदार है न कि समाज के प्रति ।

अगर गलत है तो भी- 


अगर कुछ ग़लत हो गया जो सर्व समाज में दिखाई देने लगी  । उसे चालाकी बुद्धि से मेंटनेंस किया जाता है ।  एक सियासत बुद्धि की प्राप्ति जो परिस्थितियों में खुद को ढाल सके । उक्ति अपनाते हैं । ऐसे में सच का सुख, उसे दुःख प्रतीत होता है । इसलिए ऐसी चालाकी बुद्धि से जीते हैं । जो सहुलियत प्रदान करते हैं । व्यवस्था से तालमेल करके मतलब की सिद्धि की जाती है ।  जिसे समझने में सबको दिक्कत होती है । जिसे पार पाने में सबको परेशानी होती है और अगर समझ भी जाए तो उसे अपने कई तर्को से ढका जाता है । जिसे समझाना मतलब झगड़ा और दुश्मनी भाव को भरना है ।अहम बुद्धि से संचालित व्यक्ति कभी भी किसी बात को स्वीकार नहीं कर सकते हैं ।  उदारता नहीं देती है । 
ध्यान रहे हर बुरे आदमी का भी समूह होता है । जो समान सोच के समर्थन में दौड़े चले आते हैं ।शोर इतना करते हैं कि सच की आवाज दब जाते हैं । जो स्वयं के प्रति जिम्मेदार है । वह समाज के सारे नैतिक मान्यताओं को हासिए पे ला देते हैं । जिससे सारा समाज थका सा महसूस करते हैं ।  आजकल की उदासीनता इसका प्रमाण है । 
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