tired-man-poem-in-hindi-meregeet..
आज भी
उसका समर्पण
उसका त्याग
उसका प्रेम
उसकी कोमलता
स्थान ढूंढती है
कहां ठहरा जाए
उसके हृदय के भाव
मगर इस जमाने में
उसकी नज़रों को
कोई मिली नहीं
जहां बसा जाए
पल भर के लिए
इसलिए थकान है
उसके कदमों में
जिसे चलते चलते
देखा जा सकता है!!!!!
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अब कि बार मैं जब लौटा
तो प्यार नहीं था
उन आंखों में
जो पहले से था
जैसे ही शहर की बस से
गांव पर
अपना पहला कदम रखा
लोग पैसों की आस देखा
गांव से बेहतर
अधिक पैसे
जो पूरी करेगा
अधूरी चाहते
मुझे भी लगा
मेरे पास पैसे हैं
शहरों से लाया हुआ
इस तरह
गांव को
उपेक्षित नजरों से
देखने लगा
मैं और वो !!!!!!
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