स्पष्टता जिस व्यक्ति में होता है । उसकी पहचान सरलता से होती है । clarity-of-matter-life-in-article-hindi-literature-life-meregeet. उसके चरित्र और चाहत को हमारे अंतःकरण बखुबी जानता है ।
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समझ एक जटिल क्रिया है । सतत् जागरूकता की आवश्यकता होती है । यदि आप वास्तविक समझ खुद में स्थापित कर लेते हो तो एक तटस्थ भाव में स्थापित होना पड़ेगा । समाज के विचारों, धारणाओं को देख सकते हो लेकिन चख नहीं सकते । अगर चखने की कोशिश की तो समाज की प्रोग्रामिंग का हिस्सा बन जाओगे । इसलिए जब तक समाज में सम्मिलित होने की या तारीफ पाने की उम्मीद है तो समझ लेना कि वास्तविक समझ की प्राप्ति नहीं हुई है ।
व्यक्ति वहीं क्रिया को दोहराते, अपनाते हैं जिसे समाज मान्यता देती है । प्रजनन, खाना पीना, सोना, खोना प्रकृति में सभी जीव करते हैं । बस समाज अपनी बुद्धि वजह से पर्दा डालते हैं । घर के कमरों में दीवार, तन पर कपड़ा, उपर से कृत्रिम प्रसाधन, आदि बहुत कुछ बनावटी । जिससे अन्य जीवों से भिन्न दिखाई पड़े ।
इसी बनावटी दुनिया से पार पा लेना ही वास्तविक समझ है । जो कठिन बहुत है लेकिन असंभव नहीं ।
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