Tapt-Dhara-Tapta-Amber-Poetry-in Hindi
तप्त धरा
तप्त अम्बर
तपा गांव
तपा शहर
क्रांकिट की इमारतें
क्रांकिट की गलियां
सूखा तालाब
सूखी नदियां
पेड़ सभी कट गए हैं
विकास के नाम पे
सज गए हैं !!!
Tapt-Dhara-Tapta-Amber-Poetry-in Hindi
हम न चांद देख पाएं
न बादल
तेरे शहर के लोगों ने
इमारतें इतनी ऊंची बनाई है !!!
तुमने दबा दिया
अपनी इमारतों के नीचे
बरसों पुराने जंगल
कभी-कभी
नदी मिलने आती है
अपने पुरखों से
तेरे शहर में
भटकते हुए !!!
तेरे शहर के आदमी उदास हैं
यूं जंगल उजाड़ कर
खुशी नहीं मिलती है !!!
तुम जब शहर से वापस आए
चंद पैसे कमाकर
तेरे चेहरे पे
कुम्हलाहट थी
कुछ अरमान अधूरा था
हिसाब-किताब करते हुए
गांव आने की खुशी कम थी
किसी विपक्षी दलों की तरह
नाराज़गी,
गांव में शामिल नहीं हुए
तुम चले गए शाम को
शराब भट्टी में
जहां तुम्हारी अभिव्यक्ति होगी
खुलकर
उदास चेहरे का !!!!!
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