literature-life-you-why-felt-you-right-has-ghazal
तुझे क्यों लगा तू ही सही है
बाकी मर गए तो नहीं है
इजहार करने का तरीका अलग है
दोहरापन है बातें तेरी सच तो नहीं है
साहित्य में हो मगर सियासत न छोड़ी
ध्यान देना आदमी गिर गए तो नहीं है
बहुत माना है और बहुत चाहा है उसे
मगर प्यार ये एकतरफा तो नहीं है
करके कत्ल सबुत छुपा देते हैं वो
मेरे अपने ही क़ातिल तो नहीं है
बस ऊंगली उठाना उसकी फितरत है
सवाल ही सवाल है जवाब तो नहीं है
जानता हूं कत्ल करके शरीफ़ कैसे बना
सुधर जाएंगे मुझे ऐसी उम्मीद तो नहीं है!!!
literature-life-you-why-felt-you-right-has-ghazal
जब तुम व्यक्तिवादी हो तो
सामाजिक न्याय पर उंगलियां क्यों उठाते हो
जब तुम्हारी बातें नहीं हो रही है
फिर भी तुम राय देने आ जाते हो
बेवजह!!!
बेवजह उत्तम सलाह समझकर
व्यक्तिवादियों ने
परोस दिया है
अपने जीने के तरीके
मान्यताएं
सबको परिभाषित किया
विद्वत्ता पूर्वक !!!
हम जानते हैं तुम काने हो
बेवजह सयाने हो
एकतरफा सोच तुम्हारी
सबमें थोपना बस जाने हो
तेरी आलोचना, तेरी खिल्ली है
सबको थकाना बस जाने हो !!!
क़ातिल को बहादुर समझ बैठे
मरा जिस दिन, भीड़ उसके घर जा बैठे
तारीफ किए इतने
शोषित समर्थन में जा बैठे
सियासत के बंदे ग़लत के धंधे
सब हाथ मिला बैठे
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