संतुलन बनाकर चलिए Lets-make-balance-poetry-in-Hindi-

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संतुलन बनाकर चलिए

एक पैर उठे तो दूसरा जमाइए

धीरे - धीरे ही चलिए मगर

लक्ष्य से नज़र न हटाइए

एक विश्वास पे टिका रहो हरदम

पूरी लंका में अंगद का पैर तो उठाइए

रिश्ते तालमेल और समझ से चलती है

जिंदगी छोटी है संतुलन जरूर बनाइए !!!

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संतुलन बनाकर चलिए

मतलब पर ध्यान लगाकर चलिए 

बातें करो अच्छी बुरी

स्वार्थ का ज्ञान जमाकर चलिए 

सियासत है गिरी हुई चीज

तथाकथित बुद्धिजीवी बनकर चलिए 

ओढ़ कर चोला समझदारों का

दोगलापन अपनाकर चलिए !!!!


संतुलन बनाकर चलिए

नज़र जमाकर चलिए

बडे़ वादे सारे लेकर चलें

रिश्ते निभा कर चलिए

जो दावा करते हैं बड़े-बड़े

व्यवहार में दिखाकर चलिए

मिलेंगे दुनिया में बुराई बहुत

हर किसी को आंख दिखाकर चलिए

लहरों से मत डर

मझधार से आगे निकलकर चलिए !!!!

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