Hindi-poetry-in-his-literature
उसके साहित्य में
विद्रोह की भावनाएं थी
मानों वहीं सही थी
लचर व्यवस्था को
बदले की भावनाएं थी
सरकार को कोसना
कभी भूला नहीं उसने
जब जी में आए
उसी वक्त सोशल मीडिया पे
पेस्ट कर दी
अपनी भावनाओं को
जिसकी सीमा नहीं
जिसमें दया नहीं
भरोसा नहीं
सिर्फ नफ़रत है
व्यवस्था के प्रति
उसके विपरीत
मानने वालो के प्रति
जबकि उसके साहित्य
स्वयं भूल गया है
उसी व्यवस्था का हिस्सा है
जिसमें बुराई
सीमा से बाहर है
इसलिए उसके साहित्य का
प्रभाव नहीं पड़ता है अब
हमारे जीवन में !!!!
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उसके ज्ञान में
उसने बुद्ध को
पत्नी छोड़ने की वजह से
कायर कहा
जबकि चार शादियों को सही कहा
कहां से लाते हैं
ऐसे दोगलापन !!!
मैं विद्रोह करने नहीं आया हूं
जैसे कि आजकल के लोग करते हैं
एक दूसरे पर
सवाल उठाकर
हक़ की लड़ाई लड़ते हैं
कर्तव्य भूलकर
मैं तो जीने के लिए आया हूं
शांति से
इसलिए सियासी दलों, पंथों धर्मों से दूर
अपने आस्था और विश्वास
मन और चेतना का सामंजस्य स्थापित कर
स्थिर होने का मेरा प्रयास
सुकून देता है !!!!!
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