तुम नहीं थे तब भी You-were-not-there-even-then-poetry-of-love-in-Hindi

You-were-not-there-even-then-poetry-of-love-in-Hindi

 तुम नहीं थे तब भी

मैंने प्रेम को छूवा था
कई बार अपने एकांत में
चांद को निहारा था
उसके दर्द से
अपने दर्द को सहलाया था
(जैसा तुम्हारा छूता हूं आज)
मुझे सुकून मिला था

तुम नहीं थे तब भी
मैंने रात की तन्हाई में
अकेले सफर की है
खुद से बातें करते हुए
कभी हंसते हुए
कभी गाते हुए
मुझे कभी फर्क नहीं पड़ा
मैं अकेला हूं
फिर भी चला हूं

तुम नहीं थे तब भी
मैंने हवाओं की नमी को
पुरे बदन से स्पर्श किया था
उसकी कोमलता से
ताजगी मिलती थी
जैसे,  जीवन मिलता था

तुम नहीं थे तब भी
था मेरे पास
ये नदियां
ये पेड़ ये पत्ते
ये झील ये दरिया
सब कुछ था मेरे पास
जो आज भी मुझे
शामिल करते हैं
तुम्हारे न होने से
सिर्फ फर्क यही है
तुम शामिल हो
इन्हीं के बीच में !!!

You-were-not-there-even-then-poetry-of-love-in-Hindi

तुम नहीं थे तब भी 


तुम नहीं थे तब भी
ये चांद सितारे थे
अधेरी रात का साथी
तुम नहीं थे
तब भी था
नदियों में शीतलता
पूरे बदन को शीतल करने के लिए
आज चले भी जाओगे
तब मैं भी चला जाऊंगा
यही कहीं हवाओं में
बहते हुए !!!

मैंने कहना चाहा तुमसे
प्रेम की बात
लेकिन तुम्हारी अनुमति की जरूरत थी

तुम्हारे मन के भाव
कई बार टटोला था 
इसलिए मैं चुप था 
कुछ न कहा
मेरी हिम्मत न हुई
तुम्हारी अनुमति के बिना !!!!

प्रेम में अंतिम शब्द नहीं होता है

और न ही शुरूआत
प्रेम तो हृदय के बीच रहता है
बस जरूरत पड़ती है
अवलंबन की
तेरे मेरे भावों की
जो अनुमति के बिना
दबा रहा हृदय में !!!

तुम्हारी अनुमति के बाद
मैंने अपने प्रेम का
अवलंबन कर दिया
तेरे सामने
जिसे उम्मीद है
हमेशा सहारा पाने की !!!!

मैंने प्रेम को नहीं ढूंढा
मेरे प्रेम ने
प्रेम को ढूंढा
तुम्हें देखकर
मुझे ऐसा लगा !!!!

पहली नजर में
मेरा प्रेम
निश्चित हो गया था
तुम्हें देखकर
मेरा संरक्षण हो तुम
और मुझे तुझे पाना है
इस जीवन में
यही मेरी कोशिश रही
इस जीवन में
तुझे पहली नजर में देखकर !!!!
इन्हें भी पढ़ें 👉 मृत्यु एक बहाना 
You-were-not-there-even-then-poetry-of-love-in-Hindi





Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ