मैंने पढ़ा कहां था Where-did-I-read-poetry-in-Hindi

Where-did-I-read-poetry-in-Hindi

 मैंने पढ़ा कब था 

मैंने गढ़ा कब था 

तेरे मेरे रिश्ते को

ये इश्क़ का रंग 

चढ़ा कब था 

मैं तो बस तुम्हें देखा था 

और रिश्ता जुड़ गया 

जिसे मैने कभी 

परिभाषित नहीं किया 

और न ही सलाह लिया 

कभी गैरों से 

बस समझाता हूँ खुद से 

मेरी बेकरारी ठहर जा 

इश्क़ में मिलता कुछ नहीं 

इसका दर्द समझ जा !!!

Where-did-I-read-poetry-in-Hindi

मुझे लगा

जैसे प्रेम बिना

दुनिया कितनी बुरी है 

उससे पहले ये अहसास न हुआ

कोई खास न हुआ !!!!


दोहराया जा सकता था

प्रेम

गाया जा सकता था

प्रेम गीत

लेकिन लोगों को 

नफ़रत में जीना

अच्छा लगा

इसलिए

खबरों में ढूंढ लेते हैं

नकारात्मक

और चर्चा में शामिल हो कर

विचार करते हैं !!!!

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