प्रेम स्थगित है love-is-postponed-poetry-in-Hindi-

 प्रेम स्थगित है
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प्रेम स्थगित है 
बातचीत स्थगित है
नौकरी का सवाल है
जीना स्थगित है
मरना स्थगित है
साहब आदेश देते हैं
आज अभी और तत्काल देते हैं
बंधन है रोजी रोटी का
खुलकर जीना स्थगित है
मैं तुझे भुला नहीं
शायद ! तू मुझे भुली नहीं
प्यार है दिल में मगर
मिलना स्थगित है
ये कमर झुके हुए
हाथ पैर टूटे हुए
पुरे बदन में दर्द है मगर
आराम स्थगित है
घर को देखूं या दफ्तर को
प्यार को देखूं या अफसर को
जहां रोज- रोज आदेश है
मगर इंकार स्थगित है
प्रेम स्थगित है  !!!

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जिस दिन स्थगित हो जाएगा
प्रेम
उस दिन मैं अकेला हो जाऊंगा
इसलिए
प्रेम में धोखा खाने से पहले
खुद से बेहतर संवाद जरूरी है
ताकि सहारा मिल जाए
खुद का
और मैं लिख सकूं
बेहतरीन कविताएं
अपनी संतुष्टि के लिए !!!!

कभी समझ नहीं पाएंगे
मेरी बातें
जो अपनी दुनिया
खिड़की के भीतर रखें हैं
इसलिए मैं
बाहरी दुनिया में
भ्रमण कर
स्थापित कर लूं
अपनी दुनिया
उससे बेहतर !!!!

प्रेम स्थगित करना पड़ा
तुम्हारे भीतर
प्रेम की कमी की वजह से
मुझे भी बनना पड़ा
तुम्हारे जैसे
व्यावहारिक जीवन का आदि हो कर
जब तक नहीं मिल पाएगा मुझे
प्रेम !!!!
-राजकपूर राजपूत"राज

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