प्रतीक्षा - मुझे बरसों की Waiting-the-poem-of-love-for-your-arrival

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   प्रतीक्षा

मुझे बरसों की
तुम्हारे आने की
तुम्हें पाने की
    प्रतीक्षा
मेरा एक आसरा
जिसके भरोसे 
मैं सपने बुनता हूं
जिसमें जीता और मरता हूं
    प्रतीक्षा
मेरी उम्मीदों की
तुम यहीं कहीं हो
मेरी स्मृति में 
इन हवाओं में
जिसे ढ़ूढने का
प्रयास होता है
बार-बार अपनी स्मृति में
     प्रतीक्षा
हालांकि कठिन है
तुम्हारी लम्बी प्रतीक्षा में
स्थिर रखना खुद को
फिर भी जीता हूॅं
तुम्हारी प्रतीक्षा में
दिन रात !!!!

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स्मृति धूमिल होती गई
प्रतिक्षा जब बड़ी हो गई
मेरी कल्पनाओं में
उसकी छवि धूमिल होती गई

अब वो शांति नहीं
और नहीं आराम है
उसकी यादों में
जो कभी
रात-दिन गुजारने के लिए काफी थी 
उसकी स्वीकृति में देर हो गई
जितनी देर हुई
मेरा प्रेम समझने लगा
अपना पागलपन
जो स्वाभाविक था
उससे दूर होने के लिए

जो कभी सामुहिक हो कर
मेरे निर्णय एक हो जाते थे
उसे शामिल किया था मैंने
अपनी जिंदगी में इस तरह
हर फैसले में उसकी परवाह थी
उसका स्वाभिमान मेरा अपना सम्मान था
लेकिन जवाब उस की तरफ से
नहीं मिला कभी
एक अजीब सी उदासीनता
उसकी मुझे अलग महसूस कराता था
जिससे मेरा मन कतराता था
उसके पास जाने से
इस तरह मेरी स्मृति
उसे भूलने लगी धीरे-धीरे !!!!!

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