Says-a-lot-of-his-Ghazals-in-Hindi
बातें उसकी बहुत कुछ
मगर इरादे उसके मत पूछ
आदमी मर रहा है धीरे-धीरे
दिल सुना, दिमाग का मत पूछ
अपने ही लाश को ढोता हुआ
अरमान कितना मगर मत पूछ
धूल, धुआं धक्कड़, तेरा शहर
भटकना है कितना मत पूछ
वो गांव छोड़ शहर आ गया
क्या पाया क्या खोया मत पूछ
जीने के अपने अपने तरीके हैं
कब हंसता है कब रोता मत पूछ
मान के बैठा है वो सबसे अच्छा है
मगर कितनी शिकायत है मत पूछ
लगे रहे वो धन दौलत के चक्कर में
कितने रिश्ते तोड़े ये मत पूछ !!
Says-a-lot-of-his-Ghazals-in-Hindi
जब व्यथित होकर
विचार निकलते हैं
नफ़रत, गुस्सा, खीझ, घृणा
निकलते हैं
तर्क भी आ जाते हैं
फर्क भी आ जाते हैं
व्यवहार में
और ऐसे लोग भी
बन जाते हैं
तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग !!!
उसके विचार
किसी के विरुद्ध हो सकते
जलते हुए
जिसे पालते हुए
तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग!!
अभी उसे समझें नहीं
अभी तुमने टोकें नहीं
वर्ना अपना सही रूप में आ जाते !!!
वो सीधे इरादे नहीं रखें
सियासी बातों पर अच्छे शब्द देखें
वक्त के साथ समान विषय पर
असली रूप देखें !!!
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