किसी सिद्धांत को poem-on-any-theory-in-hindi---

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किसी सिद्धांत को

किसी नियम को
कैसे अनुकूल किया जाय
ये आज का आदमी जानता है
सीधे तौर पर 
अवहेलना नहीं की जा सकती हैं
किसी सिद्धांत को
किसी सत्य को 
इसलिए इजाद किया है
एक ऐसी बुद्धि
जो बहला सकें
जो झुठला सकें
किसी सत्य को
किसी सिद्धांत को
अपने मनमाफिक
ताकि सुविधा हो
उसके जीवन में
कष्ट न हो
जीने में !!!

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व्यवस्था हमारी है
बिल्कुल तुम्हारी है
जो एक ही सच को
दो तरह से कह सकते हो 
लड़ सकते हो 
अपनी सहुलियत में बदलना
कोई तुमसे सीखें 
दोगलापन दिखाकर
और नाम दे देना
प्रगतिशील
कोई शास्वत सत्य के सामने
अपने विचारों को
जो अब तक चले आ रहे हैं
उसे रीति-रिवाज, अंधविश्वास कह देना
ताकि तुम यौन अंगों का प्रदर्शन कर सको
अश्लील कपड़े पहनकर 
तुम्हें टोकता है
यही रीति रिवाज
अंधविश्वास
वर्ना तुम कब के
जंगली हो जाते !!!

तुम तो मुझे
किसी सेक्युलर की तरह
समझा कर चले गए
मैं सुनता था
समझता था
समझा कर चले गए
गर समझा लेते
किसी बुरे इंसान को
तो समझ जाता
तुझमें काबिलियत है
सेक्युलर होने की !!!!

किसी बात को
किसी सिद्धांत को
अपने सुविधा में काट देना
समझदारी नहीं है
मतलबी नजरिया है !!!

फिलीस्तीन की हिंसा
सबको डराया है
मानवता को
जताया है
पीड़ा दिया है
लेकिन इसी मानवता ने
नहीं देखी शुरुआत
फिलीस्तीन ने की है
जिस पर चर्चा नहीं की
जिससे हिंसा भड़की
आज भी समझ नहीं पा रहा है
सिर्फ चिंतित हैं
आक्रमण से
मैं सोचता हूं
कैसी मानवता है
या तथाकथित बुद्धिजीवी ग़लत है !!!!

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