बुद्धिजीवी और पाखंड - लेख हिंदी intellectual-and-hypocrisy-hindi-article-

 धर्म को पाखंड कहना बहुत आसान है । intellectual-and-hypocrisy-hindi-article---
राजनीति को गंदा कहना बहुत आसान है । इन सबको त्याग देने की बात कहना बहुत आसान है ।इन सबका आलोचना करना बहुत आसान है । जबकि हर धर्म बुरा नहीं है । हर राजनीति बुरी नहीं है । बुरी है तो केवल व्यक्ति की सोच । जिसे बनाते हैं । अपने स्वार्थ के अनुकूल । 

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और बुद्धिजीवी यह नहीं जानते हैं कि जब वो आदमी के विकास की बातें करते हैं तो भूल जाते हैं । व्यक्तिगत विकास जहां होगा वहां आदमी अपने हितों के लिए लाचार होगा । वो फिर वहीं गलती करेंगे। जिसका वो विरोध करते आए हैं  । 
कहने का मतलब बेहतर जीवन के लिए बुद्धिजीवी की जरूरत नहीं है । एक समझदार सोच की आवश्यकता है । जो तालमेल बिठा सकें । हर परिस्थिति में । अपने जीवन और बाह्य दुनिया में । सबके अनुकूल न कि किसी व्यक्ति के !

एक ही बातों को दो तरह से कहना , कहकर उसमें अमल भी अपनी सुविधानुसार करना । बुद्धिजीवियों का दोगलापन और पाखंड है । पाखंडी बुद्धिजीवी कभी भी अपनी बातों पे नही टिकते हैं । कहेंगे कुछ करेंगे कुछ । उनकी विचारधारा जंगली जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं !!!! 

खुद को 
वैज्ञानिक दृष्टिकोण का बताया 

लेकिन अपनी बिरादरी की गलतियां 

नहीं बताया 

कम योग्यता के मारे है 

नफ़रत करना जिसे प्यारे हैं

ऐसे पाखंडी लोगों के 

ज्ञान से मारे !!!


बुद्धिजीवियों का पाखंड तुने देखा नहीं 

देखा होगा तो समझा नहीं 

ज्ञान की बातें बताएं 

बहलाते हैं तुने समझा ही नहीं 

शिक्षित बनने का ढोंग है इस क़दर 

जैसे कोई पीड़ित हैं लेकिन अत्याचार देखा ही नहीं 

बुद्ध को युद्ध भुमि में उतारकर 

हिन्दुओं से लड़ाते हैं 

बाकी मजहबों पर चुप्पी,, कैसे बुद्ध महान बताया ही नहीं !!!!!


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