तुम्हें ठहरना चाहिए -कविता प्रेम की You-must-stay-the-poem-of-love

You-must-stay-the-poem-of-love

 तुम्हें ठहरना था

उस नदी किनारे 
ठहरे हुए पानी के पास
कंकड़ फेंकते
जिसका असर देखते
कैसी लहरें उठती है
तट से टकरा कर
कैसे लौटती है
पुनः तुम्हारे उस 
कंकड़ की ओर
जिसने हलचल पैदा कर दी
रवानगी ला दी
ठहरे हुए पानी में
और जो छुप गया है
नदी की गहराई में
चुपचाप,, शांति से
स्पंदन देकर
नदी के पानी में
जिसे तुम्हें समझना चाहिए
कभी नदी किनारे ठहरना चाहिए !!!!

You-must-stay-the-poem-of-love

प्रेम भी सूख जाता है
नदी की तरह
जब न बदले बादल
बह नहीं सकता
कह नहीं सकता
पेड़ लगाने का शौक सबको है
लेकिन खास अवसर में
सेल्फी लेने
या देखाने के लिए
ऐसे में पेड़ सूख जाता है
जब आदमी का ध्यान सेल्फी में रह जाता है !!!!

ठहरना तुम्हें पसंद थी
बहना नहीं थी
इसलिए जलधारा को
चालाक मनुष्यों ने
रोक दिया !!!!


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You-must-stay-the-poem-of-love





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