जो साहित्य से छूटते हैं which-is-left-out-of-literature-

 साहित्य-जीवन को दिशा देता है ।Poetry-in-Hindi-which-is-left-out-of-literature- कहते हैं साहित्य समाज का दर्पण है । साहित्य अनछूए पहलुओं को छुते है । जिसे समझने के लिए सामान्य आदमी को युगों लग सकता है , परंतु साहित्य ऐसी दुनिया की भीतरी अहसास को आसानी से स्पर्श करते हैं । जिसे पढ़कर सामान्य आदमी भी अपनी अनुभूतियों को समेट सकता है ।   लेकिन दुर्भाग्यवश आजकल लोग साहित्य से अलग दुनिया की तलाश करते हैं । 

चुंकि तलाश अलग होने के कारण ऐसे अहसासों को अपनाते हैं । 

Poetry-in-Hindi-which-is-left-out-of-literature

जो समाज साहित्य से छूटते हैं

वहां लोग नफ़रत की ओर झुकते हैं

मन के उद्दीपन बढ़ा बढ़ा कर

बात बात पर कुढ़ते हैं

बढ़ा कर तपिश अपनी

खुद जलते हैं औरों को जलाते हैं

आजकल सबको अच्छा लगता है

मतलब में जीना यहां

याद रखकर ही घर से निकलते हैं

हो गया सिद्ध तो बहुत बढ़िया है

वर्ना सोच सोच थकते हैं

खुद का परिचय हो जाएगा साहित्य पढ़कर

ऐसे मतलब से उसे कुछ नहीं मिलते हैं

ऐसा लगता है सुकून की जरूरत नहीं है किसी को

बस दिखावे की जिंदगी में जीते हैं !!




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