आजकल के लोग - लेख people-these-days-article-hindi-in

 जहां गलती स्वीकार करने की हिम्मत और समझ न हो -/people-these-days-article-hindi-in

वहां अक्सर विवाद और बहस है । लोगों के अपने तर्क है । जिसके सहारे विवाद करके खुद को सत्य साबित करने की होड़ लगी रहती है । 

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जहां झूठ को सत्य रूप स्थापित करते हैं । वहीं पर सियासत की शुरुआत होती है । जो सत्य को हासिए पे ला देती है । कीमतें घटा देती हैं । 
जहां कोई किसी को सुनने के लिए तैयार न हो-
 अपनी ही बातों को रखने की ज़िद हो और हल्ला इतना मचाएं कि विचारों की स्पष्टता समझ न आए । बेतुकी अभिव्यक्ति की आजादी हो । वहां बेवजह विवाद होते हैं । ऐसी स्थिति में असहिष्णुता बढ़ती है । लोग बेवजह तनाव में जीते हैं । दिलों में नफ़रत पाल के । 

जहां दिखावे का चलन है -

वे लोग बनावटी होते हैं । लकीर काटकर ख़ुद को बड़ा साबित करना अच्छा लगता है । अपनी चाल ढाल में बेहतर होने का ढोंग करते हैं । बनावटी बातें, बनावटी आदतें । समझ की गहराई उथली मगर अच्छी बातों का रट्टा मारकर जीते हैं ।  जैसे उससे बड़ा कोई दूसरा न हो । अक्सर ऐसे लोग जिसे खुद से छोटा मानते हैं । उसकी खिल्ली उड़ाते हैं । जबकि जिसे खुद से बड़ा मानते हैं । उसकी जी हुजूरी करते हैं । 

जहां विद्वान बनने की होड़ है -

 वहां लोग पुराने किसी रीति रिवाज, परंपरा आदि पर अपनी विद्वत्ता का प्रदर्शन करते हैं । साहित्य जगत से लेकर नेताओं की लम्बी फेहरिस्त है । जिसे शब्द अक्सर सुधार की भावना से कम नफ़रत और घृणा के रूप में प्रकट होते हैं । जबकि यही विद्वान वर्तमान में शामिल बुराई को कहने से डरते हैं । स्वयं अपनी आलोचनाओं की सीमा बना नहीं पाते हैं । कब उसने अनावश्यक रूप से शब्दों का प्रयोग करते है । जिसकी जरूरत नहीं है ।
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