They-have-been-complaining-since-when-Ghazal- आजकल के लोग केवल बातें करते हैं । अपनी ही बातों पर अमल नहीं करते हैं । सभ्यता और दिखावटीपन इतना भरा है कि अच्छी बातें तो करते हैं मगर दूसरों के लिए । स्वयं उस ज्ञान को दूसरों के लिए फारवर्ड कर देते हैं । ताकि लोग समझें कि वह भी शिक्षित हैं । ज्ञान है अच्छी बातों का । जो कभी उसे चरित्र में नहीं उतारते हैं । ऐसे लोगों पर कविता हिन्दी में 👇👇
They-have-been-complaining-since-when-Ghazal
उन्हें भी शिकायत हो गई है कब से
जैसे उसे भी मुहब्बत हो गई है कब से
लगता है प्यार करके उसका दिल टूटा है
पता करो प्यार करना सीखा है कब से
दुनिया को समझाते हैं इश्क का नुक़सान
आखिर वो प्यार वफ़ा को जानते हैं कब से
घमंड ही था उसका जो तकरार बढ़ गई
उसने मेरी बात आखिर समझा है कब से
कहा था सच मैंने लेकिन वो बुरा मान गए हैं
दिल की बातें थी लेकिन बहरे हुए हैं कब से
उसकी वैज्ञानिकता की बातें मतलबी है
समझौते के रिश्तों में सुधार है कब से
इतना जानता है तो दुनिया बेहतर होती
उसकी वैज्ञानिकता देखें है न जाने कब से
उसकी मेहनत, तपस्या का मज़ाक उड़ाया है
आखिर उसे इन बातों से मतलब है कब से !!!!
उन्हें भी शिकायत हो गई है
जिंदगी में उसे दुःख ही मिला
सुख का कोई स्वाद न चखा
तुम्हें पता है
सुख-दुख आदमी का अहसास है
कुछ बनाएं
कुछ कमाएं
कुछ स्वयं निर्मित
लेकिन गुलाब
इसके विपरित
कांटों को पार कर
खिला
उसके भाग्य में
जीवन का सुगंध मिला !!!!
उन्हें भी शिकायत है
दुनिया से
नहीं चलती है
उसके हिसाब से
इसलिए फट जाते हैं
आत्मघाती बनकर !!!!
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