प्रेम यह नहीं है love-is-not-that-poetry-in-hindi-

love-is-not-that-poetry-in-hindi-

 प्रेम यह नहीं है कि

एक ही चोट से बिखर जाए
प्रेम यह नहीं है कि
एक ही चोट से टूट जाए
प्रेम यह भी नहीं है कि
एक ही चोट से घृणा हो जाए
ये तो दो दिलों की बातें हैं
अगर प्रेम में लगाव है
तो जोखिम में भी दांव है
यदि प्रेम में बहाव है
तो धूप में भी छांव है
जिसने प्रेम जाना ही नहीं
जिसे प्रेम पाना ही नहीं
उसे नफ़रत होना आसान है
जबकि जिसे प्रेम है
इतनी जल्दी शिकायत नहीं करते हैं 
अपने प्रेम की !!!!!

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प्रेम के बीज
पनप नहीं पाएं
हम दोनों
विचार कर रहे थे
प्रेम किया जाय या नहीं
इतनी सोच, समझ
हृदय को रोक रहे थे
शायद ! हम दिल की नहीं
दिमाग की सोच रहे थे !!!

उसका प्रेम हिसाब किताब मांग रहा था 
जैसे व्यापारी हो
मैंने भी कह दिया
जब तक हानि में लाभ न देखो
प्रेम स्थगित कर दो !!!
प्रेम यह नहीं है कि

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