unknown-ghazal-in-hindi.
जान कर अंजान मत बनो
इतना होशियार मत बनो
तेरी जुबां पे झूठ का आवरण है
इस सच से अंजान मत बनो
जाहिर हो गई है तेरी चालाकियां
मीठी-मीठी बातों से शरीफ़ मत बनो
आखिर एक दिन मरना है सबको
इतना अभिमानी मत बनो
ये धन दौलत बेकार की चीज है
इसके पीछे भागने वाले मत बनो
तेरी परछाई साथ है चलते हैं सदा
अपने अस्तित्व से अंजान मत बनो !!!
unknown-ghazal-in-hindi
कितनी दिखावा है
दिखावा ही छलावा है
लोग आधुनिक है
अपनी चालाकी से
ओछा है एक धोखा है
जिसे आजकल के शिक्षितों का
बढ़ावा है !!!
चुरा लिया है कुछ अंश
महापुरूषों का
दिखाने के लिए
सीख लिया है
कुछ ज्ञान
उसकी वाणी से
कहते हैं
लेकिन क्या समझते हैं
तुरंत फारवर्ड कर देते हैं
दूसरों के लिए
सोचों कितनी सियासत
कितना फरेब !!!!
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