silence-on-poem-hindi
तुम्हारी चुप्पी
स्वीकृति थी
जब दुनिया
मुझे कह रह थी
तुम चुप थे
शायद !
तुम्हारी नज़रों में
मेरी स्थिति वैसी थी
जैसी दुनिया
समझ रही थी !!!
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तुम पास तो थे मगर
कभी शामिल नहीं हो पाए
मेरे हृदय की तड़प में
एक अलगाव सा
महसूस हुआ
सदा तेरी बातों से
मैंने जब भी बातें की
दिल की
तुम उदास हो गए
तुम्हारी दिलचस्पी
ऊबाऊपन में बदल गई
और मेरी बातें
व्यर्थ में चलती रही !!!
जबकि मैं तुझे
कभी बाहर नहीं समझा था
खुद से
अपनी जिंदगी से
बढ़कर माना था
तुझे
जिसे तुने कभी
स्वीकार नहीं किया
कभी हृदय से !!!!
तुम्हारी चुप्पी
इस तरह डसती है
जैसे इंकार है
मेरे प्यार की
तुम खुल न पाए
प्यार में
इसलिए
चुप्पी साधे तुम !!!
अलगाव का प्रदर्शन करना
बीच सड़कों पर
बहस करना
खुद को
सही साबित करना
अच्छे इंसान हार जाता है !!!!
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