तुम यहीं कहीं हो poetry-love-ki-hindi

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 तुम यहीं कहीं हो

मुझे अभी अभी

अहसास हुआ है

पवन के वेग से

जैसे तुने मुझे छुआ है

फूलों की खुशबूओं ने

मेरी धड़कनें बढ़ा दी है

मेरे जिस्म में रौशनी बढ़ा दी है

एक सरसरी सी दौड़ गई है

पूरे तन मन में

आग सी लग गई है

और सहसा मेरा मन

तुम्हें ढूंढ़ने लगा

तुम्हारी एक झलक के लिए

भीड़ से निकल कर

अपने सूनेपन में

ख्वाब सजाने लगा

तुम्हारे आने की खबर से

खुशी इस तरह छाई है

मेरे चेहरे पे रंगत

निखर आई है

दिल को तसल्ली हुई

तुम यहीं कहीं हो

मेरे पास

जो मिल जाओगे

आज नहीं तो कल

इसी उम्मीद में

जीता हूॅं !!!!

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तुम मिल जाओगे 

तुम यहीं कहीं हो

मुझे महसूस हुआ है

जहां मेरा विचार और भाव

शून्य हो जाता है

अद्भुत आनंद में

खो जाता है

तुझे पाने में

मैं असफल इसलिए हूं

बाहरी और भीतरी दुनिया से

तालमेल नहीं बैठा पा रहा हूं !!!

भीड़ के अनुसार निर्णय

एक सहारा है

मैं गलत नहीं हूं

दुनिया भी करती हैं

मेरे जैसा

एक भरोसा है 

जबकि भीड़ से अलग

लिया गया निर्णय

एक साहस है

जो स्वयं का साहस है

जिसे किसी गैरों का

भरोसा नहीं चाहिए !!!

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