मन के सागर में डूबकी लगा

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 मन के सागर में डूबकी लगा

कहॉं भटक रहा है पता लगा


कौन बसा है तेरे मन मंदिर में

चैन छीन गया कोई पता लगा


न उलझ तू दुनिया की बातों में

झूठ, सच का पहले तू पता लगा


सफाई बहुत है उसके व्यवहार में

ज़रा उसके इरादे भी तो पता लगा


अब नश्तर है क्यों सबके हाथों में

 कहॉं खो गया है प्यार पता लगा !!!

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शब्द, बातें और वादे किए हुए

व्यवहार में न उतरे 

कर्म में दिखाई न दें

रिश्तों का निम्न स्तर

दिखा देते हैं !!!


जो वादे

जो बातें

बड़ी आसानी से

निकल आते हैं

उसमें ढूंढने पर

प्रेम नहीं मिलते हैं !!!


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