एक सिक्के के दो पहलू -कविताfairness-on-poem-in-hindi

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सच्चाई हर बातों में होती है

उतनी ही मात्रा में झूठ भी

जैसे हर सिक्के के दो पहलू हैं

ये लोगो के नजरिए पर 

निर्भर करता है

कि वे क्या पकड़ लिए हैं ?

क्या ग्रहण किए हैं ?

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कितनी सत्यता है उसकी बातों में

ये तो उसके भीतर उपस्थित

नफ़रत और प्रेम

प्रदर्शित करेगा

व्यवहार में झलकेगा

जिससे नफ़रत होती है

उसकी बुराई दिखाई देती है

वो कभी उसकी अच्छाई तक 

पहुंच नहीं पाएगा

क्योंकि वे उससे

नफ़रत करता है

इसलिए आलोचना करता है

वे किसी भी तरह से

किसी सत्य की पुष्टि नहीं करता है

खुद के नफ़रत को

स्थापित करना चाहता है

जिसके भरोसे वो जिंदा है

ठीक विपरीत

प्रेम है

एक पहलू को देखता हुआ

खुद के संतुष्टि के लिए

जबकि सच और झूठ

निष्पक्ष व्यक्तियों द्वारा

देखा जाता है

तटस्थ होकर

अपनी नफरतों को सुधारते हुए

सत्य को

स्थापित करने का प्रयास होता है 

प्रेम और नफ़रत से ऊपर !!!!

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