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रूठने की वजह बहुत है
मुझे परवाह तो तेरे रिश्तों की थी
मैं कह देता बहुत कुछ मगर
बात तेरी समझने की थी
मैं जहॉं भी जाता खींचा चला आता है
बात तेरी ऑंखों की मोहब्बत की थी
मैं भूल जाता तुम्हें हमेशा के लिए
मगर बात मेरे दिल की मोहब्बत की थी !!!
ghazal-rout-on-in-hindi
दरवाजा खुला ही रखा
सामने का
घर का मुखिया
काम पर गए हैं
लौट आते हैं
सांझ तक
चंद पैसे लेकर
जिससे खुशियां खरीदी जाती है
बैठ बातें होती है
हिसाब-किताब में
घर की समस्या से लेकर
मुन्नी के कपड़े तक
कब खरीदेंगे
चंद पैसे कमाने वाले
मजदूर
इस तरह होते हैं
उनके घर-परिवार !!!!
अभी टोकना मत
उसे रोकना मत
जीवन शुरू किया है
ठोकर खाने दो
सम्हलना खुद ही सीख जाएगा !!!
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