भाग्य वो फूल है Bhagya-par-ghazal-hindi

Bhagya-par-ghazal-hindi

 भाग्य वो फूल है

जो कर्म से खिलते हैं

आलस्य से मुर्झाए

धूप में तपकर मिलते हैं

कोशिश कर प्यारे

कोशिश से ही मिलते हैं!!!

Bhagya-par-ghazal-hindi

मैं प्यार में हूं

तेरी याद में हूं

नहीं सुहाते जमाना

केवल तुझको माना

अकेले मैं जिंदा हूं

तेरे ख्यालों में हूं

मैं प्यार में हूं

कौन क्या बोल गया

मुझे सुनाई नहीं दिया

तेरी धून में था

तेरा घर दिखाई न दिया

अपनी परेशानी क्या बताऊं

मैं हैरान हूॅं

तेरे प्यार में हूं !!!!


भाग्य वो फूल है

मेहनत की भूल है

जो कोसते हैं दिन-रात

करते नहीं मेहनत

वहीं पर शूल है

भाग्य वो फूल है

मानना मेहनत सदा

समर्थ से ज्यादा

भाग्य खुद चलकर आएगा

हाथों और पैरों मे जिनके शूल है  !!!!

इन्हें भी पढ़ें 👉 कविता हिन्दी में 

Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ