न्यायालय और तेरे मेरे रिश्ते

 यदि तुम

मेरे सारे जज़्बातों को

न्यायालय के समक्ष रखोगे,तो

मेरे जज़्बात हार जाएंगे

उसके फैसलों से


न्यायालय तेरे मेरे

रिश्तों के बीच में

मुकदर्शक है

जिसके लिए

कोई मायने नहीं है

रिश्तों का


सबूतों के आधार पे

न्याय का फैसला होगा 

जबकि तेरे मेरे रिश्तों का

कोई सबूत नहीं है


जो हृदय से बंधी एक डोरी है

जिसने जीने की राह खोली है

जिसे तुम आसानी से

भूलने की कोशिश करते हो

तोड़ने की कोशिश करते हो


रिश्तों की जो शुचिता है

हृदय की भावुकता है

जिसमें मैं जीता हूॅं

जिसे न्यायालय मानता नहीं है

अपने बौद्धिक दृष्टिकोण से

वहीं मैं हार जाता हूॅं





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