ख्वाहिश वो पिंजरा है

Khwaish-Woh-Pinjra-hai-Ghazal-Hindi

 ख्वाहिश वो पिंजरा है

जिसके सहारे आदमी जिंदा है

हम कब के मर जाते तेरे बिन

तेरी एक झलक के खातिर जिंदा है

हम भी उड़ जाते ऊंचे आसमानों में

मगर तेरे पिंजरे में बंद परिंदा है

तुझे पाने की कोशिश बहुत की

इसलिए किस्मत मेरी मुझसे शर्मिन्दा है !!!


देखना चाहते हो तो

बहुत कुछ देख सकते हो

घर के आंगन लगे तुलसी का पौधा

रोज़ घर में फुदकने वाली चिड़िया

तुम देख सकते हो

मां की गोल - गोल रोटी

बाप का चेहरा

घर के आंगन में सर पर हाथ धरे बैठे हुए

तुम देख सकते हो

पेड़ों की हरियाली

बादलों का बनना, टुटना, बरसना

छू सकते हो तुम

बारिश की बूंदों को

हवा की थपकियों को

लेकिन तुम देखते हो

पैसा

इसलिए अनदेखा कर जाते हो

जरुरी रिश्तों को !!!


तेरी ख्वाहिश

तुझे दूर कर देगा

तेरे अपनों से

इसलिए 

ख्वाहिशों में शामिल

अपने को !!!

इन्हें भी पढ़ें 👉 व्यक्तिवादी और सामाजिक जीवन लेख 


Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ