Kavita-prem-ki-hindi-men
हृदय अर्पित है
जब से तुम आए हो
मेरा मन भी समर्पित है
जब से तुम भाए हो
मेरा ध्यान रहा नहीं
तेरा ध्यान छूटता नहीं
ऐसे बसे हो तन मन में
तेरे प्रेम का रंग छूटता नहीं
अब तुम ही बताओ मैं कहॉं जाऊॅं
तेरे सिवा मुझे कुछ दिखता नहीं !!!
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प्रेम में आश्वस्त था
जब तू था
लगता था सारी दुनिया मेरी है
अब तू नहीं
कमी ही कमी है !!!!
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