Kavita-hindi-bhavishya-ke-log
आगे ,,
आजकल के लोग दु:खी रहेंगे
सोच की व्यापकता में कमी रहेगी
जिसका कारण वे स्वयं होंगे
शुरूआत अभी से शुरू हो गई है
आगे ,,
लोगों के अपने-अपने तर्क होंगे
जिसमें विवशता के साथ फंसे होंगे
सत्यता का निर्धारण वे स्वयं करेंगे
जिसमें कितनी सत्यता है
वो खुद नहीं जानेंगे,, पहचानेंगे
लेकिन आगे ,,,
लोग यहीं मानेंगे
खुद को बहुत बड़ा विद्वान जानेंगे
अपनी इसी मूर्खता को
मूर्खता की हद तक मानेंगे
जहॉं एक दूसरे को
स्वीकार नहीं कर पाएंगे
आगे,,
जाना सा
पहचाना सा
महसूस होगा सभी
समझ जाएंगे कभी
ना समझ हो जाएंगे कभी
इसी दार्शनिकता के दर्शन में
थका सा होगा सारा जीवन
जहॉं जोश होगा
वहॉं अकर्मण्यता भर देगा सारा यौवन
आगे,, भविष्य में
मानव मन
ऐसा होगा ????
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