सुंदरता- मन की नजर से

सुन्दरता - मन की नजर से -Sundarta-mann-ka-lagav-lekh-hindi. निस्संदेह सुंदरता बरबस ही अपनी ओर खींच लेती है । हर किसी को । हृदय में अंकित सुंदरता को बार-बार देखने के लिए लालायित करता है मन । उसे प्राप्त करने की कोशिश करता है । जब तक प्राप्त न हो जाए तब तक मन उस ओर खींचते रहते हैं । जब प्राप्त होते हैं तो संतुष्टि के भाव आ जाते हैं । 

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हालांकि की सुन्दरता हर किसी के लिए अलग-अलग हो सकते हैं । लेकिन जिसके दिल को भा जाते हैं । उसके सामने हर तर्क हार जाते हैं । ये पसंद है,, सत्यता नहीं कि एक ही सुन्दरता सबको स्वीकार हो । 
सुंदरता ही श्रेयस्कर है इस दुनिया में ।तो झूठ है । सबके लिए मायने अलग है ।
निश्चित ही सुंदरता को देख कर अच्छे-अच्छे की दृष्टि उलझ जाती है । आंकलन नहीं कर पाते हैं । किसी के सुंदरता को । सुंदरता बुद्धि के स्तर पर ही स्वीकार किया जाता है । देखने और परखने की दृष्टि बुद्धि से ही प्राप्त होती है । जहॉं तक समझ जाती है । सुंदरता पसंद आते हैं,, लोगों को ।
जबकि अच्छे दिखना आकर्षण है । जिसका असर बुद्धि के आंकलन के बाद खिन्नता आ जाती है ।मन खटकता है कि कहीं कुछ कमी है । 
वैसे जरूरी नहीं है कि जिसके पास सुंदरता हो ,, उसके बुद्धि भी हो । अगर बुद्धि की कमी है तो उसकी सुंदरता का असर ज्यादा दिनों तक नहीं रहेगा । 
लोग अपनी सुन्दरता का प्रभाव डालने के लिए कृत्रिम संसाधनों का उपयोग करते हैं । ऐसा करना आकर्षण पैदा करने की कोशिश है । जो काफी हद तक सफल भी होते हैं । लोग आकर्षित भी होते हैं ।  
कृत्रिम संसाधनों का उपयोग कुछ कमी को छुपाना है । जिसका अहसास उपयोग करने वाले को होता है । उस स्वयं को अपनी कमी से खिन्नता होती है । जिसे लोगों के सामने जाहिर होने से डरते हैं । 
सुंदरता का ठहराव हृदय में छुपे किसी न किसी भाव की वजह से होते हैं । जिसके अंदर जब-तक बाह्य लगाव या थकावट न आ जाए तब तक प्रेम ठहरता है । प्रेम का यही अवलंबन सुंदरता के करीब रहने के लिए प्रेरित करते हैं । जिस दिन अवलंबन टूटता है । मन कहीं और जाकर जुड़ता है । वहीं पर सुंदरता की परिभाषाएं बदल जाती है । 
क्रियाओं के स्मरण से ताजगी, उमंग, खुशी का अहसास न हो तो किसी वस्तु में ठहराव न हो । कुछ भी सोचते ही खुशी या ग़म, खिन्नता और लगाव का प्रदर्शन होता है ।
इसी आधार पर सुंदरता को देखते हैं लोग !!! 
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