Kavita-prem-hindi
तुम्हारा स्पर्श पाते ही
महक उठता है बदन
तुम्हारे स्पर्श में वो ताजगी है
खिल उठता है पूरा बदन
और जिस्म की चमक छुपती नहीं
और लोग जान जाते हैं मेरे नयन
दिन गुजर जाता है इसी खुशी में
अपना सा लगता है ये नजारे ये चमन
तुम्हारा स्पर्श पाकर !! !
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तुम्हारा स्पर्श
जिससे होता है
तुम्हें याद रहता है
अच्छा/ बुरा
लेकिन तुमने अक्सर
बुरा स्पर्श किया
जिससे तुम्हें प्रेम था
उसे ही नहीं पाएं !!!
तुमने स्पर्श करने की कोशिश की
लेकिन महसूस हुआ बुरा
उम्मीद के विपरित
तुम्हें मिला
अपने प्रेम में
जिसके स्पर्श को
तुम भूल नहीं पाए !!!!
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