मेरा और तुम्हारा रिश्ता - कविता


मेरा और तुम्हारा रिश्ता

जैसे मिट्टी और पानी है

जब-तक न समाया जाय

आकार नहीं मिलता है

मेरे और तुम्हारे रिश्ते को

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