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Kavita-hindi-prem-ki-jivan
चलो ! निकल आते हैं
इस भीड़ से
हम तुम
कभी फुर्सत में
बैठकर बातें करेंगे
दिल की
करीब आ जाते हैं इतने
दुनिया भूल जाते हैं जितने
न मैं, मैं रहूॅं
न तुम, तुम रहो
जुबां को चुप रहने दो
ऑंखों से बातें करने दो
दिल की शिकायत तक
प्यास बुझ जाने तक
तुम साथ रहो !!!!
Kavita-hindi-prem-ki-jivan
कभी फुर्सत से
तुम आना
चाह मिटने तक
तुम ठहर जाना !!!!
प्रेम कविताएं
तुम्हारे बिना
अधूरी
तुम ठहरों पास तो
पूरी !!!!!
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