चलो ! निकल आते हैं इस भीड़ से

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चलो ! निकल आते हैं

इस भीड़ से

हम तुम

कभी फुर्सत में

बैठकर बातें करेंगे

दिल की

करीब आ जाते हैं इतने

दुनिया भूल जाते हैं जितने

न मैं, मैं रहूॅं

न तुम, तुम रहो

जुबां को चुप रहने दो

ऑंखों से बातें करने दो

दिल की शिकायत तक

प्यास बुझ जाने तक

तुम साथ रहो  !!!!

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कभी फुर्सत से

तुम आना

चाह मिटने तक

तुम ठहर जाना !!!!


प्रेम कविताएं

तुम्हारे बिना

अधूरी

तुम ठहरों पास तो

पूरी !!!!!

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