आजकल अच्छा आदमी मिलना बहुत कठिन है ।shayari on fitrat. अच्छी बातें करने वाले लेकिन ज्यादा हैं । इरादे खतरनाक, परंतु बातें मीठी-मीठी करने वाले लाखों हैं । जहां से शुरू करो । घर से परिवार, गांव और देश से । हर जगह है । कुकुरमुत्ते की तरह उग आए हैं । जब मतलब आते हैं । वहीं मिल जाते हैं । लेकिन इनकी संख्या इतनी ज्यादा है कि सच हार जाते हैं । इनका एजेंडा धीर-धीरे चलता है । मौके की ताक पर रहते हैं ।जब तक मतलब न निकल जाए तब तक अच्छा इंसान बनकर रहते हैं । पढ़िए इस पर कविता 👇👇
shayari on fitrat
इंसान की फितरत है
जहां मतलब वहां शिरकत है
लोग समझ नहीं पाते हैं
चेहरे और लफ़्ज़ों पे सियासत है
नकाब पहन पेश हुआ
उठाओ चेहरा जिन्हें दिक्कत है
ये धन दौलत और शोहरत
दोगलापन में बरकत है
छेड़ते हो हमारी आस्था को
ओछी तेरी हरक़त है !!
इतना तो जाना हमने लोगों से
आजकल जल्दी नक़ाबे उतर जाते हैं
एक नाव पर सवार हुए
आंधी देख किनारे पे उतर जाते हैं
बहुत अपनाया उसे मगर भूल थी
एजेंडा पकड़े जाने पर चेहरे उतर जाते हैं
उसकी बातें न चली मगर जली ज़रूर
जिसके शब्दों में मीठा-मीठा कड़वेपन उतर जाते हैं
जब तक तुम अच्छे थे तो चाहा बहुत
जब गिरगिट बन गए तो नज़रों से उतर जाते हैं !!!
एजेंडा सेट था
उसे क्या करना था
शब्द था अपनापन का
ठकना ज़रूर था
पास आए तो लगा कोई है
लेकिन इरादे में मतलब जरूर था
फिर भी हम जुड़े रहे
लेकिन दिल से दूर था
महसूस हुआ मुझे कुछ-कुछ
इतना करीब जरूर था
आखिर पकड़ी गई उसकी पहचान
कभी-कभी चेहरा दिखाया जरूर था
हम पहचान कर भी अनजान थे
सम्भल कर चलना जरुर था !!!
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