सत्य - poem on life इसका कोई स्पष्ट उत्तर तो देना मुश्किल है । ज्यादातर सत्य को व्यक्ति अपनी अनुभूति, अनुमान, अनुभव से प्रमाणित करते हैं । जिसे सिद्ध करने के लिए लड़ाई,बहस तर्क करते हैं लेकिन कई सत्य को प्रकृति समय के अनुसार गलत सिद्ध कर देते हैं ।
सत्य यही है कि मैं अभी जीवित हूं । प्रकृति और सृष्टि है । मेरे और सृष्टि के मिटने के बाद भी एक रिक्तता, शून्यता बनी रहेगी । जिसमें पुनः सृष्टि रचने की क्षमता होगी
poem on life
मन की ऊर्जा
यदि जागृत हो
सारी सृष्टि
उसमें समाहित हो
कुछ भी कर जाएगा
यदि मन की ऊर्जा प्रज्वलित हो !!!!
मन की ऊर्जा
उस ओर है
ध्यान जिस ओर है
भुलना मत लक्ष्य को
साहस से मिलता ठौर है !!!!
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